Ayodhya Ram Mandir

Ayodhya Ram Mandir: थाईलैंड के आयुथया और भारत के अयोध्या मे क्या है संबंध

थाईलैंड के राजधानी बैंकॉक से करीब 70 किलोमीटर दूर एक शहर है जिसका नाम भी अयोध्या से मिलता जुलता आयुथया है। सं 1350 मे स्थापित हुआ आयुथया शहर किसी समय मे एक विशाल साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था। उसकी विशाल खंडहर आज भी उस वक्त की भव्यता का परिचय देते हैं।

लेकिन सबसे अधिक ध्यान खींचता है इस शहर का नाम आयुथया” लगभग भारत के शहर अयोध्या जैसा सुनाई देता है, भारत मूल के प्रोफेसर सूरत होराचायकुल जो की बैंकॉक के कुरलाइकूल यूनिवर्सिटी मे इंडियन स्टडीज के फाउन्डर डायरेक्टर हैं। वो बताते हैं की आयुथया और अयोध्या का नाम समान होना कोई इत्तेफाक नहीं है। संस्कृत के शब्दों को थाई मे ढाल कर यहाँ नए- नए नाम बनते आए हैं।

Ayodhya Ram Mandir

प्राचीन भारतिए सभ्यता का दक्षिण पूर्व एशिया पर काफी असर रहा है, जब आयुथया की आस्थापन हुई उस वक्त तक रामायण थाईलैंड तक पहुच चुकी थी जिसे यहाँ रामकिएन कहा जाता है। किसी भी दौर मे आप अपने साम्राज्य के राज्य या शहर का नाम ऐसा रखना चाहते हैं जिसे शुभ माना जाता हो। जो नाम हमेसा के लिए रह जाए। ये भी पढे: क्रिकेट मे आनेवाला है नया नियम, अब 6 के छह नहीं वल्की

वो कहते हैं थाईलैंड मे राज्य को विष्णु का अवतार माना जा है इसलिए बिभिन राजाओ को थाईलैंड मे रामा एक, रामा दो, रामा दस आदि के नामों से जाना जाता है । संस्कृत पालि सभी भाषाओ का असर थाईलैंड मे दिखता है। यूनेस्को के मुताबिक आयुथया के दरवार मे कई देशों ने राजाओ का आना जाना लगा रहता था। जिसमे मुगल के दरवार, चीनी साम्राज्य, जापान के दूतों से लेकर फ्रांस के दूत तक शामिल थे।

डॉ उदय भानु सिंह दक्षिण पूर्व एशिया के मामलों के जानकार हैं और वो (MPIDSA) से जुड़े है। वो कहते हैं इस साल भारत और थाईलैंड के कूटनीतिक रिस्ते को 77 साल पूरे हो जाएंगे, लेकिन दोनों देशों ने बीच संस्करीक और धार्मिक सम्बद्ध सदियों से है, थाईलैंड मे आयुथया नाम की एक शहर है जिसकी स्थापना 1350 मे हुई थी, इसे भारत के शहर अयोध्या से जोड़ कर देखा जाता है। इसकी स्थापना राजा रमातिबोधी एक ने की थी। वो कहते है थाईलैंड यू तो बोद्ध प्रभुत्व वाला देश है लेकिन यहाँ के शाही परिवार ने धर्म से जुड़े कई रीतियों को अपनाया हुआ है।

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बरिष्ट इतिहासकार DP SINGHAL  लिखते हैं की, चीन जैसे देश की संस्कृति से जायद भारतिए संस्कृति ने अपनी छाप छोड़ी है। दरअसल सदयों पहले दक्षिण भारत से समुद्र के जरिए लोगों का थाईलैंड आना जाना हुआ और ऐसे ही रामायण भी यहाँ पहुंची, इसके कई संस्करण बनते गए और थाई किंग रामाकिएन ने इसे फिर से लिखा। थाईलैंड मे आज भी रामकिएन का मंचन होता है जिसे थाई रामकिएन का दर्जा हासिल है। इसमे रामायण से बहुत सारी समानताए है, हालांकि थाई संस्कृति बोद्ध धर्म के अनुसार कई तरह के अंतर भी है। ये भी पढे : Bihar Cricket History : बिहार के वो सात गुंमनाम क्रिकेटर जिन्होंने बढ़ाया बिहार का नाम

कहा जाता है की रणकिएन थॉस्कन नाम का किरदार वही है जो रामायण मे रावण का है, यहाँ थाउस मतलब दस होता है रामकिएन मे फराराम वही है जो भगवान राम हैं। चौधवी से अठारवी सदी के बीच आज का आयुथया तब के शयन नाम के खुस हाल राज्य की राजधानी हुआ करता था जो दुनिया का बाद कूटनीतिक केंद्र भी था।

1767 मे बर्मा ने इस देश पर ऐसा हमला बोल की पूरा शहर तहस नहस हो गया तब से इस शहर को फिर दुबारा काभी नहीं बसाया गया, वल्की बैंकॉक नाम की एक नई राजधानी बना दी गई। बैंकॉक का औपचारिक नाम दरअसल बैंकॉक नहीं है और बहुत लंबे समय से आयुथया आज भी शामिल है। और शहर की बीचों बीच आयुथया नाम की एक सड़क भी मिल जाएगी।

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